सपनों को कैसे निर्धारित करें: मनचाही ज़िन्दगी जीने के ४ उपाय
क्या ऐसे भी दिन होते हैं जब आप दफ्तर में बैठे अपनी खिड़की ( अगर आपके दफ्तर में एक खिड़की हो) से बाहर देखते हैं और कल्पना करते हैं की आप कहाँ हो सकते थे या की क्या कर सकते थे ? मुझे खेद है की ज़्यादातर लोग इसे “सामान्य” या “अपरिहार्य” मानते हैं. मैं आपको ये बताना चाहता हूँ की ना सिर्फ आप ऐसी चीजों की कल्पना कर सकते हैं बल्कि कुछ उपयोगी तरकीबो को ध्यान में रखकर असल में उस खिड़की के बाहर निकल सकते हैं.
यहाँ वो ४ तरीके हैं जिनसे आप वो ज़िन्दगी जी सकते हैं जिसे सुखद या अमीर कहा गया है- एक ऐसे ज़िन्दगी जहाँ आप अपने समय और अनुभवों को अनुकूल बनाते हैं. मैं मानता हु की एक पुर्णतः सदृढ़ अस्तित्व को पाने के लिए ४ चीजों को आधार मन गया है और इनका होना अनिवार्य है: स्वास्थ, सम्पन्नता, प्यार और खुशी. पर एक पांचवां आधार भी है जिसकी बहुत जादा ज़रूरत है- उद्देश्य. तो जब मैं आपको अपनी ४ उपायों के बारे में बताऊँ तो इन ५ चीजों को ध्यान में रखें.
१-धन कोई समस्या नही है
ये ब्रिटीश दार्शनिक alan watts द्वारा रखा गया एक प्रसिद्द सवाल है. “ यदि आपको पैसों की कोई चिंता नही होती तो अभी आप क्या कर रहे होते? यदि आपके पास १०० जन्म व्यतीत करने के लिए पर्याप्त पैसे होते तो इस बुधवार की सुबह आप क्या कर रहे होते ?
आधारों के बारे में सोचिये अगर कोई आर्थिक समस्या नही होती तो क्या आप अपनी सेहत सुधारने के लिए कुछ कर रहे होते ? सम्पन्नता? ( भरोसा करिए, पैसों के आलावा भी संपन्न बनने के कई तरीके हैं) प्यार? खुशियाँ? लक्ष्य?
मैं मानता हु की इन पांचो आधार पर खुद को सुधारना चाहिए. मैं भोर में जग कर कसरत करता हूँ क्योंकि मेरी शारीरिक सेहत बहुत ज़रूरी है. फिर मैं आधे घंटे तक कुछ पढता हूँ और उसके बाद ३० मिनट के लिए कुछ लिखता हूँ. ये मेरी सम्पन्नता और मेरे लक्ष्य , दोनों में ही सहायक है क्योंकि मेरा लक्ष्य एक अच्छा लेखक बनना है और पढने से मुझे उस में सहायता मिलती है इसके आलावा मुझे नयी नयी बातें जानने को भी मिलती हैं. फिर में उन लोगो के साथ समय बिताना चाहता हूँ जिनके साथ मुझे रिश्ते बनाने पसंद हैं.और इस सब की वजह से( मैं ये काम सुबह कुछ लोगो के जागने से भी पहले कर लेता हूँ ) मेरे पास पूरी दोपहर होती है वो कम करने के लिए जिससे मुझे ख़ुशी मिलती है( और फिर मेरे पास दुनिया भर का पैसा भी होगा !)
खोजिये की आपको क्या तंदरुस्त, संपन्न और खुश बनाता है और वो ही करिए. क्योंकि ये सच है की जब अपने सपनो को जीने की बात आती है तो आर्थिक समस्या कोई समस्या नही होती.
२-एक डेडलाइन निर्धारित करें
बड़ा दिलचस्प है की यदि आप अपने सपनो को पाने की योजना न बनाएं तो वो सिर्फ सपने ही रह जाते हैं. यदि आप असल में कुछ करना चाहते हैं तो जो इकलौती चीज़ आपको रोक रही हैं वो आप खुद हैं, जैसा की मैं पहले भी कह चुका हूँ.तो इस मानसिक रुकावट को हटाने के लिए अपने सपनो को पाने की योजना बनाना शुरू करें. और इसका पहला कदम है एक डेडलाइन निर्धारित करना.
डेडलाइन का क्या अर्थ है? यदि कॉलेज में कभी आपका कोई प्रोजेक्ट अधुरा रह गया हो तो संभावना है की आप उसे टालते होंगे. पर उसे जमा करने की एक सीमा तिथि होगि, और न जाने कैसे उस दिन आप एक अच्छे प्रोजेक्ट के साथ हाज़िर हुए होंगे. ऐसा ही आपके सपनो के साथ भी होता है.
उदहारण के लिए, मैं अपनी गर्लफ्रेंड के साथ फरवरी में dominican republic जाना चाहता हूँ. जिसका अर्थ हैं की मुझे दिसम्बर में ही उसे बुक करना पड़ेगा. इसके लिए हमें मिलकर $५०० प्रति माह की बचत करनी पड़ेगी. असल में हमने अगले साल अक्टूबर में जाने की योजना बनायीं थी जिसके लिए $२५० प्रति माह बचाने पड़ते. तो फिर ये बदलाव क्यों? क्योंकि मुझे पता था की हम ये कर सकते हैं. बस थोडा सा प्रयत्न करके हम बहुत जल्दी ही किसी बीच पर मज़े कर रहे होंगे.
ये आपके सपनो से कैसे संभंधित है? परिभाषा के अनुसार डेडलाइन किसी भी कार्य को संपन्न करने के लिए निर्धारित किया गया समय है. खुद ज़िन्दगी की भी एक डेडलाइन होती है. तो जो कुछ भी आपका सपना है – खुद का व्यापार शुरू करना, कोई पुस्तक लिखना,- उसे एक डेडलाइन की ज़रूरत है जो किसी बभी प्रकार से आपको चुनौत्ति दे.
३-कुछ दाव पर लगाइए
सन १९९० में जिम कैर्री ने खुद के लिए $१० मिलियन का चेक लिखा और उसमें ५ साल बाद की एक तारिख डाल दी. उनका लक्ष्य अभिनेता बनना था और उन्हें भरोसा था की ५ साल में वो ये चेक कैश करवा लेंगे.
ठीक ५ साल बाद उसी दिन, जिम को उनकी फिल्म “ the mask” के लिए $१० मिलियन का चेक मिला. उन्होंने खुद को दाव पे लगाया और जीत कर दिखाया.
आप क्यों नही जीत सकते ? आप तो सबसे जादा सुरक्षित दाव खेलने जा रहे हैं.तो क्यों न आप अपनी ये नौकरी छोड़ दें और अपने जूनून को ही अपनी रोज़ी बनाएं. खुद पर दाव लगाइए.
यदि आपको भरोसा है की जिसका आप पीछा कर रहे हैं वोही आपका जूनून है तो आप कभी भी असफल नही हो सकते. और यदि आप नाकाम हो भी जाते हैं तो आपने कुछ नया तो सीखा ही है, दोबारा कोशिश करिए.
४-सपनें लक्ष्यों से बड़े हैं
क्या हमारे सपनें ही हमारे लक्ष्य हैं ?
नही. बिलकुल नही.
आपके लक्ष्य वो हैं जिनके लिए काम करने पर आपको मुकम्मल होने की अनुभूति होती है. सपनें वो हैं जिन्हें आप हमेशा से पूर्ण करना चाहते थे और आखिर आपने उन्हें साध लिया. एक आपको व्यस्त रखता है, और दूसरा आपको अपनी इच्छाओं के प्रति और प्रभावशाली बनाता है.
तो, हलाकि आपके लक्ष्य अच्छे हैं और आपको उपजाऊ और केन्द्रित बनाने में मददगार साबित हो सकते हैं, सपनों को सबसे अधिक महत्व देने की आवश्यकता है. आपको जादा क्या पसंद होगा- साल भर में २० किताबें पढना या केवल एक ही किताब को कॅरीबीयन के किसी बीच पर बैठ कर वहाँ का बेहतरीन खाना खाते हुए पढना. इन में से पहला लक्ष्य है, दूसरा सपना. दोनों की ही डेडलाइन हो सकती हैं. दोनों के ही दाव लग सकते हैं, और यदि कोई आर्थिक समस्या न हो तो दोनों को ही पाया जा सकता है. अंतर आपकी चेतना का है. घर में बैठ कर १२ महीने में पढ़ी गयी १२ किताबों के नाम आपको शायद ही याद रहे, लेकिन मैं दावे के साथ कह सकता हूँ की कॅरीबीयन के उस बीच पर जब समुद्री लहरें आपके पैरो को चूम रही हो, उस वक़्त पढ़ी गयी किताब का नाम आपको हमेशा ही याद रहेगा.
तो अपने जीवन को संपन्न बनाएं. केवल पैसा ही सब कुछ नही है. ये तो आपकी मंजिल तक पहुँचने के लिए एक साधन मात्र है. इसका अर्थ है की इसे आपको आपकी इच्छाओं तक पहुंचाने वाली किसी गाडी के सामान देखना चाहिए. सिर्फ यदि आपके पास करोड़ो रुपये हैं, इसका ये अर्थ नही है की आपका जीवन संपन्न है. और क्योंकि आपके बैंक अकाउंट में ५०० रुपये मात्र हैं इसका ये अर्थ नही है की आप एक संपन्न जीवन नही जी सकते.सवाल बस सही नज़रिए का है. उन ४ आधारों को पाने के लिए संघर्ष करिए. पहले अपने सपनो के साथ संपन्न बनिए और फिर उन्हें हकीक़त में परिवर्तित करने की योजना बनाइये.
अब उत्प्रेरणा ख़तम. समय हैं बाहर जाकर कुछ कर दिखाने का.अब दोबारा कभी भी खिड़की की गलत तरफ मत बैठिएगा.