बाल संसार

विक्रमादित्य के राज्य में हुर्इ, सुवर्ण की वर्षा!

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आज दुनिया में ऐसा कौन सा शासक है, जो अपने राज्य में किसी आवासहीन को रहने के लिए अपना घर दे दे। यही नहीं, देवी लक्ष्मी के प्रसन्न होने पर वरदान में अपने लिए कुछ न मांग कर राज्य की सारी प्रजा के घरों में सुवर्ण वर्षा करने का आग्रह करे। ऐसे थे राजा विक्रमादित्य! राजा भोज, जब पुन: विक्रमादित्य के सिंहासन पर बैठने चले, तो सिंहासन की 32 पुतलियों में से एक चन्द्रकला नाम की पुतली निकल पड़ी और कहा ‘राजन क्या तुमने कभी दान किया है एवं प्रजा के लिये सर्वस्व छोड़ा है, तो सुनो।
एक बार राज्य में रहने वाले एक ब्राम्हण के घर में आग लग गयी। उसका सब कुछ जल कर राख हो गया। बिना घर के ब्राम्हण निराश्रय हो रोने लगा। उसकी पत्नी ने कहा राजा से मदद मांगो वह झोपड़ी क्या महल भी दे सकते हैं! ब्राम्हण ने सोचा राजा से झोपड़ी क्या मांगू? महल ही मांगता हूं। राजा के दरबार में ब्राम्हण ने अपनी विपदा बतायी। राजा ने कहा ठीक है। तुम मेरा महल ले लो। उसी समय विक्रमादित्य ने महल खाली करने का आदेश दे दिया।

विशाल महल में ब्राम्हण अपने परिवार के साथ रहने आ गया। खाली महल के एक कोने में उसने ड़ेरा ड़ाल दिया। आधी रात में कुछ आहट होने पर, उसने देखा कि महल में उजाला था और कीमती सामान भरे थे। ब्राम्हण की पत्नी ने ड़रते हुये कहा यह प्रेत लीला है। हम यहां नहीं रह सकते। सुबह होने पर ब्रामहण ने राजा से सारा हाल बताया और महल वापस लेने का अनुरोध किया। राजा ने उसे झोपड़ी दे दी और स्वंय महल में आ गया।

रात होने पर राजा जागता रहा। आधी रात होने पर, उसने देखा कि महल में उजाला है और सोने-चांदी के सामान भरे पड़े हैं। राजा को एक देवी दिखायी पड़ी। पूछने पर उसने बताया वह लक्ष्मी है। लक्ष्मी ने प्रसन्न हो कर राजा से वरदान मांगने को कहा। राजा ने कहा यदि आप प्रसन्न हैं, तो मेरे राज्य में रहने वाली सभी प्रजा के घरों में सुवर्ण वर्षा कर दें। लक्ष्मी ने पूरे राज्य में सोने की वर्षा कर दी। इससे पूरी जनता धनवान हो गयी।

पुतली ने राजा भोज से कहा यदि तुमने कभी ऐसा काम किया हो, तो विक्रमादित्य के सिंहासन पर बैठ सकते हो। ऐसा कह कर वह गायब हो गयी और भोज शर्मिंदा हो कर लौट गया। आज जनतंत्र है फिर भी ऐसी मिसाल नहीं दिखायी देती, जब शासक जनता के लिए ऐसा कोर्इ उदाहरण पेश करते हों। अपना देना तो दूर, आज के शासक जनता का हक लूटने को तैयार हैं।

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